बुधवार, 17 नवंबर 2010

स्वयं जीवन का अंत, आखिर क्यों?

              अभी लगभग दो घंटे पहले बच्चों ने बताया कि उनके यहां (आई.आई.टी. कानपुर में) चौथे वर्ष की एक छात्रा ने आत्महत्या कर ली ।बहुत दुख हुआ और स्तब्ध भी हूं।पिछले दो वर्षों मे यह स्वर्णिम भविष्य का तीसरा अंत है।किसी भी परिवार के लिये यह बहुत ही बड़ा और असहनीय दुख है।ईश्वर उनकी सहायता करे ऐसी हमारी प्रार्थना है।
             ऐसी कौन सी परिस्थिति उत्पन्न हो जाती है जो बच्चे इतना कठोर कदम उठा लेते हैं।यूं ही मौत को गले लगा लेना इतना आसान भी नही होता।संभव है मेधावी बच्चे जब अपेक्षाकॄत परिणाम नही प्राप्त कर पाते एवं अन्य बच्चों की तुलना में करियर तुच्छ लगने लगता है या पूरी तरह सेमेस्टर दोहराना पड़ता है तब भी अत्यंत ग्लानि होती है और ऐसे कदम की परिणति होती है।पर कारण कुछ भी हों इस तरह की घटनाओं की जिम्मेदारी पूरी तरह से कॉलेज प्रशासन की होनी चाहिये।सुदूर जगहों से अच्छे बच्चे ही ऐसे संस्थानों में दाखिला पाते हैं और वहां आने के बाद अगर उनमे ऐसी प्रवॄति जन्म लेती है तब वहां के प्रबंधकों की ही जिम्मेदारी बनती है ।बहुत फ़ोकस्ड पढ़ाई के बाद जब बच्चे को हॉस्टल का स्व्च्छंद माहौल मिलता है तब उनमे बिगड़ने की भी बहुत गुंजाइश रहती है इसी लिये अच्छी रैंक वाले बच्चे भी कभी कभी बहुत उम्दा परिणाम नही हासिल कर पाते।मां-बाप की भी जिम्मेदारी बनती है कि वे बच्चे से लगातार संपर्क मे रहे और उसे सदा यह विश्वास दिलाते रहे कि परिणाम कुछ भी हो परिवार सदा उसके साथ है।
                 ऐसी तो कोई भी समस्या अथवा परिस्थिति नही हो सकती जिसका हल ना हो और जो भी हो वह किसी की मौत से अधिक  दुखकर तो नही हो सकता।

2 टिप्‍पणियां:

  1. सही लिखा।
    आई.आई.टी. में अब तो लगता है रिवाज सा हो गया है साल में एक लफ़डे का। इस बारे में लिखी पोस्ट का लिंक।

    http://hindini.com/fursatiya/archives/468

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    इंसान की मूल प्रकृति होती है हर हाल-परिस्थिति में जीवन का आलिंगन... परीक्षा में कम नंबर आना तो बहुत छोटी बात है... लोग बाग दोनों पैर, देखने सुनने की क्षमता, परिजनों आदि आदि को गंवां देते हैं फिर भी जीते हैं और सार्थक जीते हैं... आत्महत्या की एक आम इंसान सोचता भी नहीं... कहा जाता है कि आत्महत्या करने की जो ठान लेता है उसे कोई रोक नहीं सकता... कॉलेज प्रशासन की यहाँ कोई गलती नहीं है और न ही वह इन घटनाओं को रोक सकता है... आत्महत्या की ठाने बैठे इंसान रोके नहीं जा सकते... उनका जल्दी जाना ही अच्छा है...


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