रविवार, 15 दिसंबर 2013

"चूज़ योर पेरेंट्स वेल ..choose your parents well "


कल राष्ट्रपति भवन में एक मीडिया चैनेल की ओर से आयोजित समारोह में विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य के लिए और वैश्विक स्तर पर प्रसिद्धि पाने के लिए भारत देश के राष्ट्रपति द्वारा उन विशिष्ट लोगों को सम्मानित किया गया । उनमे विज्ञान ,कला , समाज सेवा , संगीत , साहित्य ,सिनेमा ,खेलकूद लगभग सभी वर्गों से लोग चयनित किये गए थे । बस मीडिया को इस सम्मान में सम्मिलित नहीं किया गया था । जबकि प्रिंट मीडिया / इलेक्ट्रानिक मीडिया से भी अच्छा कार्य कर रहे विशिष्ट व्यक्तियों का चयन हो सकता था ।

इस समारोह की विशेष बात यह थी कि प्रत्येक सम्मानित व्यक्ति को अपने जीवन से प्राप्त तीन सींखें युवा पीढ़ी के लिए उनके मार्ग दर्शन के लिए बतानी थीं । सभी ने वही पुरानी बातें  कहीं कि ,"सपने बड़े देखो , हार से डरो नहीं , कठिन परिश्रम का कोई विकल्प नहीं , साहसी बनो , नए रास्तों पर चलो , आलोचना से डरो नहीं , अपने आस पास के लोगों के जीवन स्तर को ऊँचा करने में सहायक बनो और बहुत सी बातें कि माता-पिता /शिक्षक के प्रति आभारी होना चाहिए कि उनके बिना किसी भी सफलता का कोई अस्तित्व नहीं हो सकता ।

सबसे अलग हटकर और डटकर बोला लेखक विक्रम सेठ ने । प्रारम्भिक बातें तो वही थीं कि हमें भिन्नता में एकता और सभी धर्मों के सम्मान में विश्वास करना आना चाहिए तभी हम देश के तिरंगे का उचित सम्मान कर सकते हैं । समाज का दायित्व है कि गरीबी जैसे अभिशाप को मिटाया जाए ।

अंत में उन्होंने कहा कि लगभग सभी अतिथियों ने अपने अनुभव बताते समय माता-पिता के प्रति सम्मान और श्रद्धा व्यक्त करने का उल्लेख अवश्य किया क्योंकि आज जो कोई भी जो कुछ है वह अपने माता-पिता द्वारा दी गई प्रारम्भिक शिक्षा /सीख /संस्कार/ वातावरण के ही कारण है । आगे उन्होंने कहा ," अतः युवा पीढ़ी क्या ,भावी पीढ़ी के लिए भी मेरी सीख है कि आप जन्म से पहले अपने माता-पिता का चुनाव स्वयं अच्छी तरह से करें । (choose your parents well) 

इस पर लोग हँस दिए और तालियां बज गई । यह ताली बजाने वाली बात नहीं है । बहुत गम्भीर बात है । सच बात तो यह है कि कोई भी अपने माता पिता का चयन नहीं कर सकता । फिर इतने विद्वान लेखक द्वारा यह बात क्यों कही गई । इस बात का युवा पीढ़ी से कहे जाने का अर्थ बस इतना सा है कि अब वह भावी माता-पिता है । अपनी संतान को ऐसी शिक्षा /सीख /संस्कार दें जिससे कि आने वाली पीढ़ी समाज में स्वयं को शिखर पर स्थापित करने के साथ साथ समाज को भी एक नया स्वरूप दे सके । जैसे माता-पिता अपने बच्चों पर गर्व करना चाहते हैं ,उसी तरह बच्चे भी अपने माता-पिता पर गर्व करना चाहते हैं ।

मेरे पिता जी ने एक बार कहा था कि जिस प्रकार गुलाब के पौधे से गुलाब ही निकलता है और कैक्टस के पौधे से कैक्टस ,उसी प्रकार बच्चे के व्यवहार / कार्यों से भी परिलक्षित होता है कि उसके मात-पिता कौन है ,किस पौधे का फूल है वह । सदा यह बात ध्यान रहे कि बच्चों के प्रत्येक शब्द / विचार/ सपनों /लक्ष्य से उनके माता-पिता का ही चरित्र परिलक्षित होता है ।

अतः युवा पीढ़ी अपनी संतति का पालन पोषण इस प्रकार न करें कि उनके बच्चों को कभी यह बात कहनी पड़े अपनी आगे की युवा पीढ़ी से कि "choose your parents well"

14 टिप्‍पणियां:

  1. माता-पिता अपने बच्चों पर गर्व करना चाहते हैं ,उसी तरह बच्चे भी अपने माता-पिता पर गर्व करना चाहते हैं ।

    सहमत !

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  2. कल फेस्बुक पर भी शायद रश्मि जी ने यह वक्तव्य शेयर किया था... सचमुच बहुत बड़ी और गहरी बात है!!

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  3. ये तो मेरा भी सोचना है...अगर आप एक बच्चे को इस दुनिया में लाते हैं तो फिर उसके प्रति आपकी जिम्मेवारी बनती है. आपकी ज़िन्दगी फिर सिफ आपकी नहीं रह जाती . प्राथमिकता बच्चों को ही देनी चाहिए...और कहाँ ढील दी जाए ...कहाँ लगाम ,कसी जाए ...ये बहुत जरूरी है...और बहुत बहुत मुश्किल भी.

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  4. जी हाँ, आप जो भी करते हैं वह आपके साथ-साथ आपके कुटुम्ब को भी दर्शाता है ।

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  5. कुछ सहज से शब्दों के मर्म की समझने की महती जरूरत है। बच्चे सदैव अपने माता-पिता को अपना आदर्श समझते हैं तो उन्हें आदर्श बन कर ही अच्छे बनने की देने या फिर उन्हें किसी बात को समझाने की जरूरत नहीं रह जाती है।

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  6. बहुत सटीक और बढ़िया बात कही है......
    बड़ा भारी लेक्चर देने को जी कर रहा है........:-)

    अनु

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  7. सच विक्रम सेठ ने बहुत गहरी बात कही .....

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  8. सच है, बच्चे भी माता पिता को प्रेरित करते रहें, अच्छा करने के लिये।

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  9. एकदम सच्ची बात .. माता पिता के पास तो आप्शन होता है कि कच्ची मिट्टी से बच्चों को वे काफी हद तक अपने अनुसार ढाल सकते हैं. बेचारे बच्चों के पास तो वो आप्शन भी नहीं होता कि माता पिता को सुधार सकें :).. जो हैं जैसे हैं उसी में निभाना है :)

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